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how to write an essay based on a quote essay writers free how to write email presentation how to write an essay literature review essay writers how to write a letter for ielts (1). ब्राह्मण क्या है? ब्राह्मण परमात्मा का स्वरूप है। जो सम्पूर्ण प्राणियों के हित में रत है और जिसका जीता हुआ मन निष्च्छल भाव से परमात्मा में स्थित है। वे ही ब्रह्मवेता पुरूष हैं। (2). ब्राह्मण की परिभाषा एवं कार्य ? 1. त्रिकाल गायत्री संध्या वंदन करता हो। 2. यज्ञोपवीत संस्कारित हो। 3. षिखा बंधन मय हो। 4. प्राणायाम शरीर बल, मनोबल एवं आत्मबल में वृद्धि की भावना रखते हुए प्राणायाम का निम्न मंत्र बोल- ऊँ भू ऊँ भूवः ऊँ स्वः ऊँ मह ऊँ जनः ऊँ तपः ऊँ सत्यम। 5. ब्राह्मण सदैव सब के हित के लिए प्रार्थना करता हैं सर्वे भन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः। सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कष्चिदुखमाप्नुयात्।। 6. ब्राह्मण समर्पण युक्त हो, जैसा कि महर्षि दाधीच ने इन्द्र को राक्षसों के संहार हेतु अस्त्र-षस्त्र हेतु अपनी हड्डियाँ तक दे दी। 7. ब्राह्मणों से भगवान भी डरते हैं। श्री द्वारकानाथ को प्रियतम विदर्भ की राजकुमारी रूकमणी देवी को ब्राह्मण ने ही लाकर दिया था और उसे खोलकर भी ब्राह्मण ने ही पढ़कर सुनाया। यह प्रसंग अपने गरीब मित्र सुदामा को तन्दुल भर मुट्ठी चावल खाकर राज देने लगे तो रूकमणी जी ने हाथ पकड़ लिया था। तब ही भगवान द्वारकानाथ ने रूकमणी जी से कहा कि ब्राह्मण की बदौलत ही आप यहाँ आये। 8. ऋषि दुर्वासा की बिना आज्ञा के प्यास लगने पर रूकमणी जी ने पानी ली लिया था। इस वजह से उनको श्राप दिया और 13 वर्ष तक भगवान द्वारकानाथ से विरह भोगना पडा। 9. भृगु ऋषि ने भगवान के वक्षस्थल पर लात मारने पर भी भगवान ने यही कहा ऋषिवर आपके पैर बडे कोमल हैं। मेरा वक्षस्थल बड़ा कठोर है। आपको चोट पहुँची है कृपया क्षम करें। इसी वजह से लक्ष्मीजी ब्राह्मणों से नाराज रहती है। (3) ब्राह्मणों के कार्य:- ? 1. यज्ञ करना एवं करवाना। 2. अध्ययन करना...
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